सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से किया इनकार, देखे क्या था पूरा मामला न्यूज़ रिपॉर्ट में




सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. दरअसल, एक याचिका में यहां होने वाले पंचायत चुनावों पर रोक लगाने की मांग की मांग की गई थी.
बता दें कि शुक्रवार को सुबह 8 बजे राजस्थान में पंचायत चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान शुरू हुआ. राज्य निर्वाचन विभाग के मुताबिक, 'मतदान के पहले 2 घंटे में, सुबह 10 बजे तक साढ़े 8 फीसदी ही मतदान हुआ. पहले चरण में 87 पंचायत समिति की 2,726 ग्राम पंचायतों के 26,800 वार्डों के लिए मतदान हो रहा है. इन 87 पंचायत समिति क्षेत्र में कुल 93 लाख 20,684 मतदाता हैं.'


सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. दरअसल, एक याचिका में यहां होने वाले पंचायत चुनावों पर रोक लगाने की मांग की मांग की गई थी. बता दें कि शुक्रवार को सुबह 8 बजे राजस्थान में पंचायत चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान शुरू हुआ. राज्य निर्वाचन विभाग के मुताबिक, 'मतदान के पहले 2 घंटे में, सुबह 10 बजे तक साढ़े 8 फीसदी ही मतदान हुआ. पहले चरण में 87 पंचायत समिति की 2,726 ग्राम पंचायतों के 26,800 वार्डों के लिए मतदान हो रहा है. इन 87 पंचायत समिति क्षेत्र में कुल 93 लाख 20,684 मतदाता हैं.'



पंचायती राज चुनाव को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है पंचायतो के नवसृजन एवं पुनर्गठन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव पर रोक से इनकार कर दिया है. सीजेआई एस ए बोबड़े की 3 सदस्य बैंच ने हाईकोर्ट के आदेश को स्टे करते हुए राज्य सरकार की अपील के साथ टैग करने के आदेश दिये हैं।
नारायण सिंह व अन्य की ओर से दायर की गई याचिका में पंचायतों के पुनर्गठन को गलत बताते हुए रोक की गुहार लगाई गई थी. मामले में राज्य सरकार को पक्षकार बनाया गया।
एससी ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक:
दरअसल स्थगित 2400 ग्राम पंचायत में चुनाव कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले के बाद बड़ा असमंजस बना हुआ था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक लगा दी थी. सुप्रीम ने माना कि पंचायतों और पंचायत समितियों का पुनर्गठन करना सरकार का अधिकार है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर चुनाव आयोग और राज्य सरकार लीगल ओपिनियन ले रहे थे.

यह था हाईकोर्ट का फैसला:
राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 15 नवंबर के बाद पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन को लेकर सरकार की ओर से जारी की गई सभी अधिसूचनाएं अवैध है. इस फैसले को राजस्थान सरकार के एएजी मनीष सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर चुनौती दी थी।
चुनाव आयोग की दो टूक- चुनाव के लिए चाइए 3 माह
वही राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतीराज विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि इस स्थिति में चुनाव करवाने के लिए कम से कम 3 माह की जरूरत है....सुप्रीम कोर्ट में डिस्पोजल नही होने के कारण चुनाव करवाना सम्भव नही है।


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